कोई पुशता है
की आज आँखे नम है क्यु
अभी अभी सो कर उठा हु
दर्द को दिल में ऐसे दबाये बेटा हु
जब याद आते है दिन बचपन के
बैठी हो आँगन में वो जैसे
खेलती अपने बालो से
तिरशी कर अपनी आँखों से देखती मुझे
बस अपने को रोक न पाता हु
सोने का बहाना बना लेता हु
देखता हु आज भी उसे जैसे
वो बैठी हो पास मेरे जैसे
दर्द को दिल में दबा के
थोडा सा मुस्कुरा के
आँखे मॉल कर कह देता हु
- अभी अभी सो कर उठा हु
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