कुश खाश नहीं
कुश खाश नहीं
जब साथ छुट जायेगा....
धीरे धीरे वक़्त की रफ़्तार भी बदल जायेगी
तुम भी भूल जाहोंगे और हम भी
तुम भी खुश होंगे और में भी
तुमारी जरूरत भी बदल जायेगी मेरी भी
हम जो नहीं जी पाते थे एक पल भी एक दूजे के बिना
फिर हम ही अलग अलग पूरी जिंदगी गुजार देंगे ....
कुश गीला भी होगा कुश शिखवे भी
आँखों में आशु फिर भी होटो पर मुस्कान होगी
जब मिलेंगे एक अरसे के बाद
बदल गये होंगे हालात बदल गये होंगे वो पल
खुश धुन्दला सा याद तो होगा
पर ना चाहते बहुत सा भूल भी गये होंगे
मिलेंगे जब हम दोनों मुस्करा कर भी क्या खूब कहेंगे
कुश पहचाने से लगते तुम
और खुश उल्जन में पाहेंगे
कुश पहचान छुपा कर तुम भी मुस्कराहोंगे और हम भी
वक़्त थम सा जायेगा एक अरसे के बाद
एक अनचाही आवाज पर में पीछे मुड़ कर देखु
तो में चाहता हु तुम अपनी पोती से मेरी
एक कच्छे पक्के दोस्त के नाम से पहचान करवाहो ...
तुम खुश रहो ये देखना अच्छा लगता है मुझे
वो वक़्त बदला बदला जरूर होगा पर में नहीं
में चाहता हु तुम भी मुस्करा दो और में तुम्हें देख कर
ना तुम कुश कहो ना में कभी
कुश खाश नहीं
कुश फूलो का टहनी से टूटने का गम है
और कुश तुमारे इन्तजार में शुख जाने का..
अब और क्या पर एक बात है
अब ये आलम है की हाथ जब भी उठाता हु
खुदा के दरबार में
फरियाद तो अपने आप लिख जाती है
अब चुप रहता हु और रोज मुस्कुरा भी देता हु
मान लेता हु खुदा तू भी हारा ना अब मुज से
दुआ लब पे हमेशा रहेगी तुमारे ख़ुशी की
पर एक बात तो है खुदा ऐसा हो भी सकता था कया वो मेरी थी तो क्या मेरी हो नहीं सकती थी ....
MiSs U ......
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