Tuesday, March 17, 2015

दोस्तों अब के कुश ऐसा तान सुनाओ 
जिससे उथल पुथल मच जाये
एक हिलोर उधर से आये 
एक हिलोर इधर से आये
प्राणो के लाले पड़ जाये 
त्राही त्राहि रव-नभ् में छाये
नाश और सत्यनाशो का धुँआधार जग में छा जाये
दोस्तों अब के कुश ऐसा तान सुनाओ 
जिससे उथल पुथल मच जाये

उसकी सहिष्णुता, क्षमाँ का है महत्व ही क्या
करना ही आता नहीं जिसको प्रहार है 
करुणा, क्षमाँ को छोड़ और क्या उपाय उसके
ले न सकता जो बैरिओ से प्रतिकार है
सहता प्रहार कोई विवर्श कोई कन्द्रव जीव
जिसकी नशो में नहीं पौरुष की धार है ...





Monday, March 16, 2015

अब रुको ना तुम झुको न तुम 
यु कदम बढ़ाते रहो तुम 
जिंदगी एक खेल है 
मौत को तुम डराते रहो 
तुम वीर हो इस धरा के 
यू ना कदम डगमगाने दो 
तुम वीर हो हिन्दुस्थान के 
अपने कदम आगे बढ़ाते रहो 
त्राई त्राई हो नभ् में 
नाश हो सत्यनाशो का 
तुम यु कदम बढ़ाते रहो 
तुम वीर हो इस धरा के 
ऐसा तान सुनाते रहो 
उथल पुथल मच जाये 
उथल पुथल मच जाये 
ऐसा गीत सुनाते रहो 
तुम वीर हो हिन्दुस्थान के 
अपने कदम आगे बढ़ाते रहो...

जय हिन्दुस्थान 
मनोज रावल 


Tuesday, March 3, 2015


कुश खाश नहीं 
कुश खाश नहीं 

जब साथ छुट जायेगा....
धीरे धीरे वक़्त की रफ़्तार भी बदल जायेगी
तुम भी भूल जाहोंगे और हम भी 
तुम भी खुश होंगे और में भी 

तुमारी जरूरत भी बदल जायेगी मेरी भी 
हम जो नहीं जी पाते थे एक पल भी एक दूजे के बिना
फिर हम ही अलग अलग पूरी जिंदगी गुजार देंगे ....
कुश गीला भी होगा कुश शिखवे भी 
आँखों में आशु फिर भी होटो पर मुस्कान होगी

जब मिलेंगे एक अरसे के बाद 
बदल गये होंगे हालात बदल गये होंगे वो पल

खुश धुन्दला सा याद तो होगा
पर ना चाहते बहुत सा भूल भी गये होंगे

मिलेंगे जब हम दोनों मुस्करा कर भी क्या खूब कहेंगे 
कुश पहचाने से लगते तुम
और खुश उल्जन में पाहेंगे 
कुश पहचान छुपा कर तुम भी मुस्कराहोंगे और हम भी 

वक़्त थम सा जायेगा एक अरसे के बाद 

एक अनचाही आवाज पर में पीछे मुड़ कर देखु
तो में चाहता हु तुम अपनी पोती से मेरी 
एक कच्छे पक्के दोस्त के नाम से पहचान करवाहो ...
तुम खुश रहो ये देखना अच्छा लगता है मुझे

वो वक़्त बदला बदला जरूर होगा पर में नहीं 
में चाहता हु तुम भी मुस्करा दो और में तुम्हें देख कर 
ना तुम कुश कहो ना में कभी 


कुश खाश नहीं 
कुश फूलो का टहनी से टूटने का गम है 
और कुश तुमारे इन्तजार में शुख जाने का..

अब और क्या पर एक बात है 
अब ये आलम है की हाथ जब भी उठाता हु 
खुदा के दरबार में 
फरियाद तो अपने आप लिख जाती है
अब चुप रहता हु और रोज मुस्कुरा भी देता हु
मान लेता हु खुदा तू भी हारा ना अब मुज से 

दुआ लब पे हमेशा रहेगी तुमारे ख़ुशी की 

पर एक बात तो है खुदा ऐसा हो भी सकता था कया वो मेरी थी तो क्या मेरी हो नहीं सकती थी ....

MiSs U ......