उसकी सहिष्णुता, क्षमाँ का है महत्व ही क्या
करना ही आता नहीं जिसको प्रहार है
करुणा, क्षमाँ को छोड़ और क्या उपाय उसके
ले न सकता जो बैरिओ से प्रतिकार है
सहता प्रहार कोई विवर्श कोई कन्द्रव जीव
जिसकी नशो में नहीं पौरुष की धार है ...
करना ही आता नहीं जिसको प्रहार है
करुणा, क्षमाँ को छोड़ और क्या उपाय उसके
ले न सकता जो बैरिओ से प्रतिकार है
सहता प्रहार कोई विवर्श कोई कन्द्रव जीव
जिसकी नशो में नहीं पौरुष की धार है ...
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